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Saturday, March 25, 2017

कमोडिटी बाजार : एग्री कमोडिटी : सरसों खल के निर्यात में 4 गुना इजाफा होने का अनुमान: SEA






देश मे इस साल सरसों की बंपर फसल है और उत्पादन में बढ़ोतरी की वजह से सरसों खल के निर्यात में इस साल करीब 4 गुना का इजाफा होने का अनुमान है यह कहना है देश में तेल और दिलहन इंडस्ट्री के संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन यानि SEA के चेयरमैन अतुल चतुर्वेदी का, अतुल ने जयपुर में हुए सरसों सेमिनार के दौरान यह जानकारी दी है।


अतुल के मुताबिक चालू महीने मार्च के दौरान देश से करीब 40,000 टन सरसों खल का एक्सपोर्ट हो सकता है जबकि पिछले साल मार्च में सिर्फ 7,260 टन सरसों खल का एक्सपोर्ट हो पाया था। पिछले साल दश में सरसों उत्पादन कम था और कम पैदावार की वजह से सरसों खल का भी कम उत्पादन हुआ था जिसकी खपत घरेलू मार्केट में ज्यादा हुई थी और एक्सपोर्ट के लिए कम माल बच पाया था। लेकिन इस साल देश में सरसों की बंपर फसल का अनुमान है, इंडस्ट्री के मुताबिक देश में इस साल करीब 70 लाख टन सरसों पैदा हो सकती है जिस वजह से एक्पोर्ट के लिए पर्याप्त मात्रा में सरसों खल होगा।


भारत से सरसों खल का ज्यादातर निर्यात दक्षिण कोरिया और जापान को होता है और सरकार चीन को भी फिर से सरसों खल एक्सपोर्ट करने के पूरे प्रयास कर रही है।  



Source: MarketTimesTv











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कमोडिटी बाजार : एग्री कमोडिटी : कैस्टरसीड: NCDEX पर ट्रेडिंग हुई महंगी, देना पड़ेगा 20% स्पेशल कैश मार्जिन





कैस्टरसीड की कीमतों में एकतरफा तेजी को देखते हे कमोडिटी एक्सचेंज NCDEX ने इसमें सट्टेबाजी पर लगाम लगाने के लिए कदम उठाया है। एक्सचेंज ने सर्कुलर जारी कर रहा है कि सोमवार से कैस्टरसीड के सभी वायदा सौदों और आगे लॉन्च होने वाले सौदों पर मौजूदा मार्जिन के अलावा 20 फीसदी अतीरिक्त कैश मार्जिन भी चुकाना पड़ेगा।

हाल के दिनों में कैस्टरसीड की कीमतों में जोरदार उछाल देखने को मिला है, कम उत्पादन की आशंका से मार्च के दौरान कीमतों में 25 फीसदी से ज्यादा का उछाल देखने को मिला है, मार्च की शुरुआत में NCDEX पर भाव 4,000 रुपये प्रति क्विंटल के नीचे था लेकिन इस हफ्ते भाव 5,000 रुपये के ऊपर जा चुका है। 

हालांकि शुक्रवार को ऊपरी स्तर पर बिकवाली की वजह से कैस्टरसीड की कीमतों में फिर से गिरावट आई है और भाव 4,800 रुपये प्रति क्विंटल के नीचे देखा गया है। 

इंडस्ट्री ने इस साल देश में कैस्टरसीड का उत्पादन करीब 25 फीसदी घटने का अनुमान जारी किया है जिस वजह से इसकी कीमतों में बेतहाशा तेजी देखने को मिल है। 






Source: MarketTimesTv











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कमोडिटी बाजार : एग्री कमोडिटी : कपास: MCX ने वायदा कारोबार बंद किया






कमोडिटी एक्सचेंज NCDEX पर स्टील का वायदा करोबार बंद होने के बाद अब कमोडिटी एक्सचेंज MCX ने कपास के वायदा कारोबार को बंद करने का फैसला किया है, शुक्रवार को MCX की ओर से इसको लेकर सर्कुलर जारी किया गया है। सर्कुलर के मुताबिक कपास के मार्च और अप्रैल वायदा एक्पायरी के दिन बंद कर दिए जाएंगे और अगले नोटिस तक कपास का नया वायदा लॉन्च नहीं होगा। एक्सचेंज ने कम ओपन इंटरेस्ट का हवाला देते हुए कपास के वायदा कारोबार को बंद करने का फैसला किया है।

यहां यह जानना जरूरी है कि एक्सचेंज ने कपास के नाम से चल रहा वायदा बंद किया है, एक्सचेंज के प्लेटफॉर्म पर कॉटन के नाम से चल रहा वायदा को लेकर यह सर्कुलर नहीं है और कॉटन के सभी वायदा सौदों में जिस तरह से करोबार हो रहा है उसी तरह होता रहेगा।


जनवरी में सेबी ने कमोडिटी एक्सचेंजों के प्लेटफॉर्म पर ट्रेड होने वाली कमोडिटीज के लिए नियम जारी किए थे जिनके मुताबिक वायदा बाजार में सिर्फ वहीं कमोडिटी ट्रेड हो सकेगी जो बीते 3 सालों में से किसी एक साल में 500 करोड़ रुपये का सालाना टर्नओवर दिखाने में कामयाब हुई होगी। बीते 3 साल में किसी भी एक साल में अगर किसी कमोडिटी का 500 करोड़ रुपये या इससे अधिक का टर्नओवर नहीं हुआ होगा तो उस कमोडिटी को वायदा बाजार से हटना पड़ेगा। इन्ही नियमों के आधार पर MCX ने कपास के वायदा को बंद किया है, दो दिन पहले NCDEX ने स्टील लॉन्ग के वायदा को बंद करने की घोषणा की थी। 



Source: MarketTimesTv











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बिजनेस न्यूज़ : SEBI ने रिलायंस पर रोक लगाई





पूंजी बाजार नियामक सेबी ने कथित तौर पर धोखाधड़ीपूर्ण कारोबार करने के दस साल पुराने एक मामले में रिलायंस इंडस्ट्रीज और 12 अन्य पर शेयरों में वायदा एवं विकल्प (डेरिवेटिव) कारोबार करने पर एक साल की रोक लगा दी है. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इसके साथ ही मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज को करीब 1,000 करोड़ रुपये के भुगतान करने का भी आदेश दिया है. हालांकि, कंपनी के प्रवक्ता ने कहा है कि वह सेबी के इस आदेश को चुनौती देंगे. रिलायंस इंडस्ट्रीज को सेबी ने इस मामले में 447 करोड़ रुपये की मूल राशि और उस पर 29 नवंबर 2007 से अब तक 12 प्रतिशत की दर से ब्याज का भुगतान करने को कहा गया है. इस हिसाब से कंपनी को कुल करीब 1,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा. यह मामला रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की अनुषंगी कंपनी रिलायंस पेट्रोलियम से जुड़ा है. रिलायंस पेट्रोलियम अब अस्तित्व में नहीं है. मामला रिलायंस पेट्रोलियम के शेयरों में वायदा एवं विकल्प (एफ एण्ड ओ) वर्ग में कथित तौर पर धोखाधड़ीपूर्ण कारोबार करने से जुड़ा है|

सेबी के पूर्णकालिक सदस्य जी महालिंगम द्वारा जारी 54 पन्ने के आदेश में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) और 12 अन्य इकाइयों को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष तरीके से शेयर बाजारों में एक साल तक वायदा एवं विकल्प कारोबार करने से रोक लगा दी गई है|

सेबी ने रिलायंस के अलावा जिन 12 अन्य कंपनियों को एक साल के लिए डेरिवेटिव कारोबार करने से रोका है, उनमें गुजरात पेटकोक एंड पेट्रो प्राडक्ट्स सप्लाई, आर्थिक कमर्शियल, एलपीजी इंफ्रास्ट्रक्चर इंडिया, रेलपोल प्लास्टिक प्रोडक्ट्स, फाइन टेक कमर्शियल, पाइपलाइन इंफ्रास्ट्रक्चर इंडिया, मोटेक सॉफ्टवेयर, दर्शन सिक्युरिटीज, रिलाजिस्टिक्स (इंडिया), रिलाजिस्टिक्स (राजस्थान), विनामारा यूनिवर्सल ट्रेडर्स और धरती इन्वेस्टमेंट एण्ड होल्डिंग्स. रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को ब्याज सहित पूरी राशि 45 दिन के भीतर लौटाने को कहा गया है|

महालिंगम् ने कहा कि जो भी निर्देश दिया गया है वह बाजार में धोखाधड़ी के दायरे में ध्यान में रखते हुए दिया गया है. रिलायंस इंडस्ट्रीज ने इससे पहले इस मामले को निपटाने का सेबी से आग्रह किया था, लेकिन सेबी ने इससे इनकार कर दिया था. रिलायंस पेट्रोलियम को बाद में रिलायंस इंडस्ट्रीज में मिला दिया गया था|





Source: MarketTimesTv









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