दूसरी ओर,
इसने गोल्ड और सिल्वर जूलरी के मामले में चाइना से मिल रहे तगड़े कॉम्पिटीशन के चलते भी मार्केट शेयर गंवाया है। इसके अलावा रेडीमेड गारमेंट्स के क्षेत्र में कंबोडिया और बांग्लादेश के हाथों भारत के मार्केट शेयर में सेंध लगी है। 2011 में मीडियम और हाई कार सेगमेंट में भारत का मार्केट शेयर 8.84 फीसदी था,
जो 2016 में घटकर 5.77 फीसदी रह गया। यह एक बड़ा नुकसान है। इस मार्केट शेयर में गिरावट की वजह कोरिया और जापान हैं जो कि पैसेंजर व्हीकल्स की मैन्युफैक्चरिंग में लीडर हैं।
जेम्स एंड जूलरी सेक्टर में कारीगरों में स्किल का अभाव खासतौर पर डायमंड्स के मामले में भारी पड़ा है। इस सेगमेंट में मार्केट शेयर 2011 में 31.36 फीसदी था,
जो 2016 में घटकर 30.79 फीसदी रह गया है। इंडिया के मार्केट शेयर का बड़ा हिस्सा चाइना और वियतनाम ने झटक लिया है जो कि भारत के मुख्य कॉम्पिटीटर्स साबित हो रहे हैं।
एक्सपोर्टर्स इन 61 प्रॉडक्ट्स को लेकर चिंता जाहिर कर चुके हैं और उन्होंने कॉमर्स मिनिस्ट्री से कहा है कि वह इनके एक्सपोर्ट को प्रोत्साहित करने के लिए फिर से स्ट्रैटजी बनाए। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (फियो) के डायरेक्टर जनरल अजय सहाय ने कहा,
'हमने एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल्स और डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स से इन आइटमों के एक्सपोर्ट को बढ़ाने के लिए नए तरीके से स्ट्रैटजी बनाने की मांग की है।'
मक्का और खली जैसे कृषि आइटमों के मामले में करेंसी में उतार-चढ़ाव का भारत के मार्केट
शेयर में नुकसान के पीछे बड़ा योगदान रहा है। ब्राजीलियाई करेंसी रियाल के कमजोर होने से इंडिया को इस लैटिन अमेरिकी देश में खली के निर्यात में मुश्किलें आई हैं। सहाय ने कहा, 'हमें इनकी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए या तो और जोर लगाना पड़ेगा या फिर डोमेस्टिक कैपेबिलिटी तैयार करनी होगी।'
Source: MarketTimesTv
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