इंटरनेशनल रिसर्च इंस्टिट्यूट फॉर क्लाइमेट एंड सोसाइटीने कहा है कि पहले जून से सितंबर के दौरान अल-नीनों के आने की संभावना 50 फीसदी थी लेकिन बीते 2 हफ्ते के दौरान परिस्थितियों में बदलाव हुआ है और इस बदलाव के आधार पर कहा जा सकता है कि मई से जुलाई के दौरान अल-नीनों के आने की संभावना 55 फीसदी हो गई है जबकि जुलाई से सितंबर के दौरान इसकी संभावना 70 फीसदी हो गई है।
अल-नीनो आने की स्थिति में अधिकतर ऐसा होता है कि मानसून सीजन के दौरान कम बरसात हो, ऐसे में मानसून के कमजोर होने की आशंका लाजमी है। हालांकि कई बार ऐसा भी हुआ है कि अल-नीनो आने के बावजूद मानसून सीजन के दौरान सामान्य या सामान्य से ज्यादा बरसात हुई है, भारतीय मौसम विभाग का भी यही तर्क है और मौसम विभाग ने कहा है कि अल-नीनो के बावजूद इस साल सामान्य मानसून रह सकता है। मौसम विभाग ने पूरे मानसून सीजन के दौरान देशभर में औसतन 96 फीसदी बरसात होने का अनुमान लगाया है।
Source: MarketTimesTv
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