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: कमोडिटी
वायदा
में
अब
देसी-विदेशी फंड!
सेबी
के कार्यकारी निदेशक एस के मोहंती
ने कहा, 'देश में कुल
डेरिवेटिव (शेयर एवं जिंस)
कारोबार 130 लाख करोड़ रुपये
का होने का अनुमान
है। यह भारत के
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब आधा
है। विकसित देशों में डेरिवेटिव कारोबार
उनकी जीडीपी का 2 से 5 गुना
है। देश के डेरिवेटिव
कारोबार में जिंसों का
योगदान मामूली है, इसलिए हमें
लंबा रास्ता तय करना है।
तत्कालीन नियामक वायदा बाजार आयोग के सेबी
में विलय के बाद
हमने जिंसों में तीसरी श्रेणी
के हेज फंडों को
मंजूरी दी थी। अभी
और संस्थागत निवेशकों को मंजूरी देने
की जरूरत है। इनके बारे
में निर्णय भागीदारों के साथ बहुत
सी बैठकें आयोजित कर किया जा
रहा है। हमें उत्पाद,
भागीदारी और नीति की
जरूरत है, जिसके लिए
हम चरणबद्ध तरीके से कदम उठा
रहे हैं। लेकिन हम
चाहते हैं कि जो
संस्थागत उद्यमी अपने जिंस जोखिमों
की वैश्विक एक्सचेंजों पर हेजिंग कर
रहे हैं, वे घरेलू
प्लेटफॉर्मों पर भी नजर
डालें। हम उन्हें घरेलू
एक्सचेंजों पर कारोबार की
मंजूरी की दिशा में
काम कर रहे हैं।'
सेबी ने एमसीएक्स पर
सोने और एनसीडीईएक्स पर
ग्वार के ऑप्शन कारोबार
की मंजूरी दी है। नियामक
में म्युचुअल फंडों और पोर्टफोलियो मैनजमेंट
सर्विसेज (पीएमएस) को मंजूरी देने
के लिए चर्चा अग्रिम
चरण में पहुंच गई
है। इस घटनाक्रम की
पुष्टि करते हुए मोहंती
ने कहा कि नियामक
जिंस डेरिवेटिव में म्युचुअल फंडों
और पीएमएस को मंजूरी देने
के लिए मसौदा दिशानिर्देश
बना रहा है। इन्हें
मंजूरी दिए जाने में
छह महीने का समय लग
सकता है। मोहंती ने
कृषि जिंसों के बारे में
कहा कि हाजिर और
वायदा बाजारों के बीच एकरूपता
का अभाव बड़ा मसला
है। इस समस्या के
समाधान के लिए सरकार
ने इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि मंडी (ई-नाम) बनाई है।
इसके अलावा खाद्य मंत्रालय दो भंडारगृह शुरू
कर रहा है। गोदाम
विकास एवं नियामक प्राधिकरण
(डब्ल्यूडीआरए) गैर-कृषि जिंसों
के लिए गोदाम बनाने
के बारे में विचार
कर रहा है।
आमतौर पर संस्थागत निवेशक
वहां निवेश करते हैं, जहा
बाजार भागीदारी अधिक हो और
लघु अवधि और दीर्घ
अवधि के अनुबंधों को
आसान से बेचना संभव
हो। हालांकि भारत में लंबी
अवधि के अनुबंधों में
मामूली कारोबार होता है। आमतौर
पर भारतीय कारोबारी लघु अवधि के
अनुबंधों के लिए वायदा
कारोबार को तरजीह देते
हैं। लंबी अवधि के
अनुबंधों में खरीद-फरोख्त
बढ़ाने के लिए थॉमसन
रॉयटर्स ने मल्टी कमोडिटी
एक्सचेंज (एमसीएक्स) के साथ मिलकर
विभिन्न श्रेणियों के जिंस सूूचकांक
शुरू किए हैं। एमसीएक्स
के प्रबंध निदेशक मृगांक परांजपे ने कहा, 'यह
शुरुआत दर्शाती है कि जब
नियामक मंजूरी देगा तो हम
सूचकांक कारोबार के लिए तैयार
हैं। इससे संस्थागत निवेशक
भारतीय एक्सचेंजों में कारोबार के
बारे में विचार कर
सकेंगे।' एमसीएक्स जल्द ही ऑप्शन
अनुबंध शुरू करेगाा।
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