एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'पीईसी के अंतर्गत, हम दो मॉडलों पर विचार कर रहे हैं। एक इक्विटी मॉडल है, जिसमें कंपनी इक्विटी शेयर के बदले संपत्ति बनाने पर जोर देगी। दूसरा मानक सेवा अनुबंध है, जिसमें कंपनी संपदा के बेहतर उपयोग पर काम करेगी। अधिकारी ने कहा कि ऐसे कई तरीके हैं, जिनके जरिए ऑइल फील्ड्स की क्षमताओं का बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है।
तेल
मंत्रालय
के
सीनियर
अफसर
ने
कहा,
'इनहैंस्ड
ऑयल
रिकवरी
एक
ऐसा
तरीका
है,
जिसके
जरिए
उत्पादन
में
इजाफा
कर
सकते
हैं।
मंत्रालय
कंपनियों
के
लिए
एक
नीति
लाने
पर
विचार
कर
रहा
है,
जो
ऐसे
चैलेंजिंग
फील्ड्स
में
काम
करने
की
इच्छा
रखती
हैं
या
फिर
वहां
काम
कर
चुकी
हैं।
सरकार
अपनी
नीति
के
जरिए
यह
सुनिश्चित
करने
का
प्रयास
करेगी
कि
इनका
रिस्क
कम
हो
सके।'
सीनियर
अफसर
ने
बताया,
'योजना
के
अनुसार,
पीईसी
अनुबंध
पहले
नामांकित
क्षेत्रों
पर
लागू
होगा,
जिसके
बाद
पॉलिसी
को
अन्य
क्षेत्रों
में
बढ़ाया
जा
सकता
है।
"ईओआर
और
पीईसी
दो
अलग-अलग कॉन्सेप्ट है। ईओआर एक क्षेत्र की उत्पादकता बढ़ाने का तरीका है, जबकि पीईसी सभी चीजों को पूरी तरह से शामिल करता है। हमने अभी तक नीति को अंतिम रूप नहीं दिया है। हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि नीति में सभी संबंधित पक्षों को एक समान मौका दिया जाए।
विश्लेषकों
की
मानें
तो
पीईसी
दुनिया
के
लिए
अनसुनी
बात
नहीं
हैं।
कई
वैश्विक
कंपनियां
चुनौतीपूर्ण
क्षेत्रों
में
संसाधनों
का
बेहतर
उपयोग
कर
अपनी
सेवाएं
देती
हैं।
रेटिंग
एजेंसी
आईसीआरए
के
सीनियर
वाइस
प्रेजिडेंट
के.
रविचंद्रन
ने
कहा,
'ऑइलफील्ड
सर्विसेज
में
प्रमुख
कंपनियां
जैसे
बेकर
हग्स,
हालिबर्टन
और
स्कोमी
आदि
के
पास
ऐसे
काम
का
विस्तृत
अनुभव
है।'
कई
देशों
में
जहां
ऑइलफील्ड्स
में
उत्पादन
में
घटा
है
और
नई
तकनीक
से
सुधार
लाया
जा
सकता
है,
वहां
पीईसी
ने
बहुत
अच्छा
काम
किया
है।
Source: MarketTimesTv
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