सरकार
के नए फाइनैंशल रूल्स
में भ्रष्ट कंपनियों से सरकारी खरीद
पर पाबंदी लगा दी गई है।
नए नियमों के तहत अब
भ्रष्टाचार रोधी कानून या भारतीय दंड
संहिता के तहत मौत,
शारीरिक नुकसान या लोगों के
स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने
की दोषी कंपनियां तीन साल तक किसी भी
तरह का सरकारी ठेका
पाने के लिए बोली
नहीं लगा पाएंगी। मंगलवार को जारी जनरल
फाइनैंशल रूल्स (जीएफआर) 2017 कहती है कि यह
पाबंदी प्रतिबंधित कंपनियों की उत्तराधिकारी कंपनी
पर भी लागू होगी।
इस कदम का मकसद सरकारी
सामानों की आपूर्ति में
साफ-सुथरी छवि वाले वेंडरों को बढ़ावा देना
है।
इससे
पहले
सरकार
ने
सरकारी
खरीद
में
पारदर्शिता
सुनिश्चित
करने
के
लिए
ऑनलाइन
खरीद
के
साथ-साथ हाल ही में गर्वनमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) शुरू किया गया। यह केंद्र सरकार का ऐमजॉन जैसा एक प्लैटफॉर्म है जिसे रूलबुक में पहली बार जगह मिली है। हालांकि, सरकार ने फिलहाल जीईएम को अनिवार्य नहीं बनाया है क्योंकि वह ऐसा करने से पहले सिस्टम को पूरी तरह दुरुस्त कर लेना चाहती है। देश को मिला आजादी के बाद यह सरकार का तीसरा जीएफआर है जो सरकारी खर्चों और खरीद के लिए नियम सुनिश्चित करता है। इससे पहले नियमों में आखिरी सुधार एक दशक पहले हुआ था।
नए
नियम
में
सरकारी
एजेंसियों
को
पासपोर्ट
जैसी
सेवाओं
पर
शुल्क
लगाने
का
भी
निर्देश
है,
ताकि
सेवाएं
मुहैया
कराने
की
लागत
वसूली
के
साथ-साथ पूंजी निवेश पर उचित फायदा भी मिले। यानी, अगले कुछ सालों में कुछ नए शुल्क लागू होने वाले हैं क्योंकि वित्त मंत्रालय के निर्देश पर एजेंसियों और विभागों को कम शुल्क वसूलने की वजहें बतानी होंगी। इसके अलावा, इन शुल्कों को मूल्य सूचकांक यानी महंगाई से जोड़ा जाना है और हर तीसरे साल इनकी समीक्षा होनी है।