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Monday, July 25, 2016

पाकिस्तान में कपास बुआई 17% घटी, भारत से निर्यात को मिल सकती है मदद



भारतीय कपास के बडे ख़रीदार पाकिस्तान में इस साल कपास की बुआई के लिए पहले जो अनुमान लगाया जा रहा था असल में उतनी
बुआई नहीं हो पायी है और पिछले साल के मुकाबले करीब 1 7 फीसदी कम है ।




पाकिस्तान के सरकारी आंकडो के मुताबिक वहां पर अबतक सिर्फ 59 लाख एकड़ यानि करीब 13-87 लाख हेक्टेयर में कपास की खेती हो पायी है जबकि पिछले साल वहां पर इस दौरान 71 राज्य एकड़ यानि करीब 2 8 . 73 लाख हेक्टेयर में कपास की फसल लगी थी। वहां की सरकार ने इस साल यानि 2016- 17 के लिए कपास की खेती के लिए 74 राज्य एकड़ यानि 2 9 . 94 राज्य हेक्टेयर में खेती का लक्ष्य निर्धारित किया था । पिछले साल सूखे की वजह से पाकिस्तान में पहले की कपास का रकबा कम हुआ था और इस साल
इसमें आई और गिरावट से यहाँ यर कपास की पैदावार में और कमी आ सकती है 


पाकिस्तान के सरकारी आकडों के मुताबिक कपास के रकबे में आई कमी की वजह से 2016-17 के दौरान कपास की पैदावार तय किए गए लक्ष्य से करीब 2 5 फीसदी कम रह सकती है। सरकार ने करीब 155 लाख गांठ कपास पैदा किये  जाने का लक्ष्य निर्धारित किया था जबकि पैदावार  सिर्फ 14 1 लाख गांठ होने का अनुमान लगाया जा रहा है ।


पाकिस्तान में 201 5- 16 सीजन के दौरान कपास की कम पैदावार हुई थी और उसने अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए भारत से बडी मात्रा में कपास का आयात किया था । जिस वजह से भारत से कपास का निर्यात बढ़ाने में मदद मिली थी । इस साल पाकिस्तान में कपास की पैदावार और भी कम होने की आशंका  जताई  जा रही है. यानि इस साल फिर से पाकिस्तान भारत से बडी मात्रा  में कपास का आयात कर सकता है ।


पाकिस्तान में 2015- 16 सीजन के दौरान कपास की कम पैदावार हुई थी और उसने अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए भारत से बडी मात्रा  में  कपास का आयात किया था । जिस वजह  से भारत से कपास का नियति बहाने में मदद मिली थी । इस साल पाकिस्तान में कपास की पैदावार और भी कम होने की आशंका जताई जा रही है यानि इस साल फिर से पाकिस्तान भारत से बडी मात्रा  में कपास का आयात कर सकता है ।


2014-15 सीजन के दौरान भारत से सिर्फ 5 7 . 72 राज्य गांठ कपास का निर्यात हुआ था जो 2015-16 में पाकिस्तान की मांग बढ़ने से 70 लाख गांठ के पार जाने का  अनुमान है। अगर 2016-17 में भी पाकिस्तान की मांग बनी रहती है तो भारत से निर्यात भी 2015-16 की तरह बने रहने की उम्मीद बढ़ जाएगी।